मंगलवार, 2 नवंबर 2010

bhrashtachar se mukti kaise ?

भ्रस्टाचार हिदुस्तान की पहचान बन चूका है.जो जहाँ है वहीँ गोलमाल कर रहा है.अभी हिंदुस्तान कॉमनवेल्थ खेलों  के भ्रस्टाचार से उबर भी नहीं पाया था की अभी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अपने रिश्तेदारों को कौड़ी के दर पर फ्लैट बेच कर अपने पद का दूरप्रयोग करके सुर्खिओ में आ चुके हैं. क्या कहा जाये इस  देश के कर्ताधारो को जो गद्दी मिलते ही भाई-भातिजो की सेवा में जुट जाते हैं. अरे भाई कुछ तो शर्म कीजीए   ?   यह देश आपके लुट कर खाने पीने के लिये नहीं बना है करोडो नागरिक इसलिये टैक्स नहीं देते की आप  जैसे बेईमान लोग देश को चार कर खा जाए /  वैसे ही तो देश को भुला कर सब अपनी तिजोरी भर रहे हैं उस पर आप जैसे जनसेवक भी जनता की गाढ़ी कमाई खा लेंगे तो कैसे इस देश की तरक्की का सपना आप लोग दिखाएंगे ?

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