मंगलवार, 22 जुलाई 2014

यह कौन - सी जगह है दोस्तों। .... जहाँ अकेलेपन के  अलावा कुछ नहीं /  अकेलेपन को साथ देने के लिए ये पहाड़ हैं जो  न जाने कितनी सदियों से सर्द में लिपटे मौन  खड़े हैं / इनके पास न मेरे अकेलेपन का कोई हल है न  मेरे सवालों का कोई जवाब नहीं /

इस बिराने में कुछ अच्छा नहीं लग रहा है / वक्त है कि  मानों कहीं ठहर - सा गया है / न पढ़ने में मन लग रहा है न कुछ सार्थक लिखने में / इस वीराने की रखवाली कर रही हूँ मैं /  अजीब - सा दौर है / आछे दिन पाछे गए /