शनिवार, 17 सितंबर 2011

नरेन्द्र मोदी का नया अवतार

आज से गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी तीन दिनों के लिये अनशन पर बैठकर एक नई  राजनीतिक बिसात बिछा  चुके हैं / उन्होंने इस अनशन को शुद्धिकरण का नाम दिया है पर राजनीतिक   हलकों में इसके कुछ और अर्थ लगाये जा रहे हैं /  तीन दिनों के अनशन के बाद नरेन्द्र मोदी का क्या नया अवतार होगा ? कहीं इसके पीछे कहीं कोई राजनीतिक मंशा तो नहीं छिपी है ?  वैसे भी इन राजनीतिक  नेताओं के हर  कार्यकलापों के पीछे कोई न कोई राजनीतिक  चालें  छिपी रहती हैं /  अभी इन नाटकों को देखकर लगता है कि देश में अनशनों का फैशन चल पड़ा है / अनशन जैसे कारगार हथियार का अगेर इसी तरह   इस्तेमाल    होता रहा तो यह हथियार भी एकदिन भोथरा हो जायेगा /

सोमवार, 5 सितंबर 2011

गाँव

गाँव , तुम कहाँ खो गए ?
बरसों जहाँ तुम्हें छोड़ आई थी
तुम वहां तो नहीं हो !

                 पर
मेरी  स्मृति के  उजले  पन्नों पर
            इतिहास
के पुराने खंडहरों की तरह दर्ज हो /

जहाँ अवकाश पाते  ही
मन लम्बी छुट्टियों पर चला जाता है
तलाशने लगता है
कुछ विस्मृत हुए लोगों को /
दोहराने लगता है
कुछ भूले हुए किस्सों को
भूले हुए अनगिनत  चेहरे
फ़िल्म की रील की तरह
चलने लगते हैं /

बूढी आजी , बाबा , वह महुआ का पेड़
आम का बगीचा , माटी  की सोंधी गंध
वह चार बीघा खेत, वह अपना  आँगन , वह दुआर /

कहते हैं लोग कि
अब तुम  नहीं रहे
पर  विश्वास नहीं होता
गांव  तुम मर नहीं सकते /

हर पल तो तुम्हें
अपने सीने में  धड़कता  हुआ पाती हूँ
कैसे कहूँ कि तुम  नहीं रहे ?

शनिवार, 3 सितंबर 2011

मुबारकें

  तेरे दिल में कोई और घर कर  गया
  तुझसे कैसे अब मैं मुबारकें लूँ ?
  कभी मंजिल हमारी एक थी
    आज  राहें  जुदा हैं

तू रह अपने हमसफ़र के  साये में 
मैं भी अब तनहा एक सफ़र में हूँ /

तू मुबारकों में रह  आमीन
मैं अभी  बद्ददुआवों  के  सायों में हूँ/

तू  चलाचल  अपनी  आरजूओं की मिन्नत में
 ख्वाहिशों की बंदगी  कर
मैं अभी जिंदगी  वीराने के बसर में हूँ /