शुक्रवार, 26 अगस्त 2011

भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारी भूमिका ?

आज देश  भ्रष्टाचार के खिलाफ संजीदा हो उठा है /  ६४ सालों में पहली बार ऐसा हो रहा है कि अन्ना  की  वजह से  पूरा देश   भ्रष्टाचार को ख़त्म करने के लिए कमर  कस कर खड़ा  है / यह एक शुभ संकेत है /  पर यह भी ध्यान में रखना जरुरी है कि यह  लड़ाई सिर्फ अन्ना  की नहीं है   बल्कि  इसके लिए हम सभी को अपने आचरण में तबदीली लानी होगी / सिर्फ कानून बना देने से भ्रष्टाचार का राक्षस  खत्म नहीं होगा /  इस देश में कानून की  धज्जियां जिस तरीके से उड़ाई जाती हैं उसको देखकर ऐसा नहीं लगता कि सिर्फ  एक मजबूत लोकपाल बना कर हम भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म कर देंगे / वैसे अन्ना खुद कह भी रहे हैं कि इस  लोकपाल से केवल ६० प्रतिशत भ्रष्टाचार खत्म होगा / जब तक हिंदुस्तान  के लोगों की मानसिकता बदलती नहीं है तब तक यह लड़ाई अपने असली मुकाम पर नहीं  पहुंचेगी / भ्रष्टाचार के लिए केवल नेता ही दोषी नहीं हैं बल्कि हर वह आदमी दोषी है जो अपना काम निकालने  के लिए दो नम्बरी रास्तों का सहारा लेता है /  हममें से शायद ही कोई ऐसा हो जिसने भ्रष्टाचार को बढ़ावा  देने में अपनी कोई भूमिका का निर्वाह न किया हो /  एक तरफ हम भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए नारे लगा रहे हैं , अन्ना के साथ रहने का वादा कर रहे हैं , सरकार को सोचने पर मजबूर कर रहे हैं , सभी  राजनीतिक   दलों के चेहरों से  मुखोटे हटा रहे हैं पर इस लड़ाई में सिर्फ इतना ही करने से भ्रष्टाचार नहीं मिटेगा /


अन्ना तो अपनी भूमिका का निर्वाह बड़ी ईमानदारी  से कर रहे हैं पर यह सवाल हमारे सामने खड़ा है कि क्या हम  अपने सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी बरतेंगे ?

3 टिप्‍पणियां:

  1. शुरुआत तो हो चुकी है। परिवर्तन, खासकर व्यवस्था परिवर्तन की लड़ाई लंबी और सतत चलने वाली होती है।

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  2. ईद की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें....

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  3. शुक्रिया शमीम जी , आपको भी ईद की तहेदिल से मुबारके /

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