पतझड़
बुधवार, 22 अक्टूबर 2014
दीपावली रोशन कर देने वाला त्यौहार है पर दिल के अँधेरे इन दीयों की रौशनी से कहाँ मिटते हैं //// /
घिरा है घना अन्धकार। .... दीये तो जलाने ही पड़ेंगे /
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