गुरुवार, 2 जून 2011

भ्रष्टाचार : पहले अन्ना हजारे और अब रामदेव

 अभी देश के अख़बारों और समाचार चैनलों में जिस खबर को बड़ी खबर बताया जा रहा है और जिसे एक तरीके से प्रोमोट किया जा रहा है वह है  भ्रष्टाचार पर स्वामी रामदेव का  घोषित  सत्याग्रह / अभी कुछ दिनों पहले इस मुद्दे पर  अन्ना हजारे सुर्खियाँ बटोर रहे थे / अब इस मुद्दे पर बाबा रामदेव आगे आ चुके हैं/ जब अन्ना भ्रष्टाचार की नकेल कसने के लिये लोकपाल बिल में कुछ जरुरी नीतियों और कानूनों को शामिल करने के लिये  अनशन   पर बैठे हर थे और जिस तरीके से उन्हें जन समर्थन मिला उससे यह आशा बंधी कि शायद कुछ  बेहतर  रास्ते  निकल आएंगे और सरकार भी इस मुद्दे पर कुछ सचेत दिखी / पर आज की तारीख में आप  और हम देख सकते हैं कि  अन्ना  हजारे जहाँ खुद कह रहे हैं  कि सरकार ने हमसे बेइमानी की और हमें अँधेरे में रखा /  सत्ता पक्ष से आप   सीधी लड़ाई नहीं लड़ सकते हो / सत्ताएं अपने आप को सुरक्षित रखने के लिये तमाम तरीकों को इजाद करती हैं/  हम सब को याद है कि अन्ना हजारे ने लोकपाल बिल में जनता की तरफ से जन प्रतिनिधियों का जो दल बनाया  था    उसका क्या हस्र हुआ /


अब बाबा रामदेव इसी मुद्दे पर सत्याग्रह करने का  एलान  कर चुके हैं / ४ जून से अपने लाखों समर्थकों के साथ इसे अन्ना हजारे की तरह आन्दोलन का रूप देने जा रहे हैं / वैसे सरकार उनसे मिन्नत   कर चुकी है / खुद प्रधानमंत्री उनसे आग्रह कर चुके हैं कि हम इसे लेकर खुद ही गंभीर हैं आप सत्याग्रह पर मत बैठे/ कांग्रेस के सिपहसलार उन्हें मनाने एअरपोर्ट तक पहुँच गए  थे पर  बाबा रामदेव नहीं माने / वैसे देखा जाये तो अभी बाबा रामदेव मानेगें भी नहीं /  कारण सबको  मालूम है / 

एक सवाल यह भी उठता है कि हमारे हिन्दुस्तान में कोई भी आन्दोलन आजादी के बाद क्यों नहीं  सफल  हुआ ? एक बड़ा साफ़ कारण दिखलाई पड़ता है / असल में हम हिन्दुस्तानी जो भी परिवर्तन लाना कहते हैं वह दूसरों में लाना कहते हैं हम खुद उस परिवर्तन से अपने आप को अछूता रखते हैं /
हम चाहते हैं कि हमारे देश से भ्रष्टाचार मिटे पर खुद अपने आप से यह पहल नहीं करते / मैंने यह देखा था  कि जब अन्ना हजारे अनशन पर बैठे हुए थे तब जगह जगह उनके आन्दोलन को समर्थन देने के लिये मोमबत्ती लेकर पद यात्रायें की गई थी और उन यात्राओं में अधिकतर वे लोग शामिल थे जो खुद कहीं न कहीं कभी न कभी अपने आचरण में भ्रष्ट रहे थे / अगर  आप भ्रष्टाचार का अर्थ सिर्फ आर्थिक कदाचार लगते हैं तो आप बहुत बड़ी ग़लतफ़हमी का शिकार हैं /  हम खुद बातें तो बड़ी बड़ी करते हैं पर जब मौका  मिलता है तो महज कुछ स्वार्थों के लिये हर प्रकार के  कदाचार के लिये तैयार हो जाते हैं / जब तक हम जो आन्दोलन के नाम पर एस. एम.एस  करते है , मोमबत्ती लेकर पदयात्रा करते हैं और अखबार में बिज्ञापन छपाते हैं , इन सब को छोड़कर अपने आचरण में बदलाव नहीं लायेंगे तब तक कोई भी आन्दोलन  सफल नहीं होने वाला है /

देखा जाये बाबा रामदेव का सत्याग्रह  क्या रंग लाता  है ?  उतरता है या चढ़ता है ? 


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