शनिवार, 8 जून 2013

शब्द....

कुछ  शब्द ......
कितने पवित्र होते हैं 
जो ढँक लेते हैं अपने में 
धारण करने वाले की 
सारी चालाकियाँ , सारे छलकपट 
सारे पाप !

शब्दों के परिधान में 
कोई छुपा ले जाता है 
अपने सारे अपराध /


और शब्द ......
धीरे - धीरे अपना अर्थ खोने लगते हैं 
वे शर्मिंदा हैं 
अपने इस्तेमाल होने पर
शब्द ......
धीरे - धीरे चुक रहे हैं /

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