पहाड़ भी रोते हैं एक दूसरे से गले मिलकर जब कोई स्त्री अपने पति को खत लिखती है और फिर चुपचाप एक आईने में अपना चेहरा देखती है आईना बताता है समय की रफ़्तार और चुपके से स्त्री को धकेल देता है पहाड़ों के पास। … पहाड़ … खड़े हैं चुप्पी साधे उनके पास रोने के अलावा कोई चारा भी तो नहीं है। पहाड़ भी रोते हैं।