आजकल कश्मीर को लेकर जितनी बातें की जा रही हैं उतनी कभी नहीं हुई. तीन दिन पहले लेखिका अरुंधती रॉय ने जो कहा उसको लेकर बवाल मचा हुआ है. असल में अरुंधती रॉय यही चाहती थी. उन्हें खबरों में बना रहना अच्छा लगता है . खबरों में बने रहने के लिये कश्मीर और मावोवाद से अच्छा कोई मुद्दा हो ही नहीं सकता इसलिये इस पर जो भी कहा जाये बहस होनी ही है. असल में ये दोनों मुद्दे बड़े ही संवेदनशील हैं पर हमारे देश के तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग को क्या कहा जाये ? जो अपने आपको जयादा प्रगतिशील और मानव अधिकारों का प्रवक्ता सिद्ध करने के चक्कर में बिना कुछ समझे बहुत कुछ कह जाते हैं. अगर इनका वश चले तो ये देश को तश्तरी में रख कर कट्टरवादी ताकतों को सौप दें असल में अरुंधती रॉय को इन मुद्दों पर कश्मीर- विरोधी और
सरकार - विरोधी विचार देकर अपने आप को नोबेल पुरस्कार दिलवाना है रॉय जी अगर आपकी बात मान ली जाये तो भारत का अस्तित्वा एक दिन मिट जायेगा / आप किनको कश्मीर देना चाहती हैं?. कश्मीर कश्मीरवालो का है और उसमें हिन्दू कश्मीरी पंडित , सिख और मुसलमान भी शामिल हैं. आप जैसी जागरूक लेखिका को कश्मीर की मूल समस्या पर बात करनी चाहिए . वहां के लोगो को रोजगार चाहिये , अमन चाहिए , आतंकवाद से मुक्ति चाहिए, इन मुद्दों पर बात करिए की कैसे कश्मीर के जरुरी सवालातो को सुलझाया जाये ?
क्या हमारे बुद्धिजीवी कभी हिम्मत कर पायेंगे की तुष्टिकरण की राजनीति को छोड़कर देश के आम आदमी चाहे वह हिन्दू हो या मुसलमान , के लिये लड़ेंगे न की बड़े पुरस्कारों के मोःह में अपने देश से ही बोलने की आजादी के नाम पर देश को फिर से बाटने की साजिश में शामिल होंगे / आपको विचार करना ही होगा?
रविवार, 31 अक्टूबर 2010
बुधवार, 27 अक्टूबर 2010
karva chauth : dampatya prem ka prava
कल करवा चौथ का व्रत स्त्रियों ने बड़े धूम धाम से मनाया यह व्रत हमारी संस्कृति की उस ताकत को दर्शाता है जहाँ औरते अपने पति को परमेश्वर मानकर पूजती हैं. अपने पति और अपने घर के लिये औरते उपवास और व्रत रखती हैं. पर इन औरतो के लिये न तो हमारा पुरुष समाज कोई व्रत रखता है और न ही इसका कोई प्रमाण मिलता है . मुझे लगता है पुरुषो की तुलना में औरते संस्कृति को ज्यादा जीती हैं तथा उसको बचाय भी रखती हैं.
हा, यह अवशय है की आजकल कुछ पुरुष भी यह व्रत रखते हैं और यह अच्छा भी है क्यों की आखिरकार यह व्रत पति-पत्नी के बीच के प्रेम का ही व्रत है. अपने पति को सात जन्मो तक पाने के संकल्प का व्रत है.दांपत्य प्रेम को मजबूत करने के लिये समर्पित इस व्रत को करने वाली औरतो को सलाम
हा, यह अवशय है की आजकल कुछ पुरुष भी यह व्रत रखते हैं और यह अच्छा भी है क्यों की आखिरकार यह व्रत पति-पत्नी के बीच के प्रेम का ही व्रत है. अपने पति को सात जन्मो तक पाने के संकल्प का व्रत है.दांपत्य प्रेम को मजबूत करने के लिये समर्पित इस व्रत को करने वाली औरतो को सलाम
सोमवार, 25 अक्टूबर 2010
आएइए, दोस्तों मैं इस उपन्यास के बारे में आप को कुछ बताऊँ यह उपन्यास जयप्रकाश नारायण के द्वारा चलाएए गए आन्दोलन संपूर्ण क्रांति को केंद्र बनाकर चलता है. एस उपन्यास में दो कथा आपस में घुलमिलकर चलती है. एक कथा राजनीतिक पृष्ठभूमि पर केन्द्रितित है तो दूसरी कथा प्रेम की मोहक तस्वीर पेश करती है, इस upan अयास का नायक राजीव है जो ईमानदारी को अपनी ताकत मानता है वह अपने देश और समाज के लिय बहुत कुछ करना चाहता है उसी समय देश में एक ऐसी हवा चलती है जो सारे नवयुvको को कांग्रेस के भ्रस्ट्रा चार से मुक्त होने के लिये दूसरी आजादी के आन्दोलन की तरफ धकेल देती है. राजीव भी एस आन्दोलन में जोरशोर से भाग लेता है
Nai Subah : Bihari Asmita ki nai pahachan
Dosto, aaj mai aap ke samne Dr. Shankar Tiwary ke upanyas " Nai Subah" ki thodi bahut batein aap se charcha karungi. Yah Upanayas ek aise author ke dwara likha gaiya hai jo mathematics ka professor hai, Yeh Upanayas uski sahityik ruchi ko gaharai se darsta hai. Sath hi uski gahari adhyansilta ko bhi.
Aaeye es upanayas par baat kare.
Aaeye es upanayas par baat kare.
रविवार, 24 अक्टूबर 2010
nai subah
नयी सुबह ब्लॉग की शुरुआत मैं डॉ. शंकर तिवारी के उपन्यास " नयी सुबह" के बारे में कुछ बताना चाहती हूँ. यह उपन्यास बिहार के पृष्ठभूमि पर आधारित है. इसमें जयप्रकाश नारायण के द्वारा चलाया गया संपूर्ण क्रांति के आन्दोलन पर प्रकाश डाला गया हैं.
सदस्यता लें
संदेश (Atom)