दूर एक टापू पर एक बूढा रहा करता था / उसका नाम ........ शायद उस टापू को भी नहीं पता था / वह सारा दिन बैठकर समुद्र की लहरों को गिना करता था / और अपने संदूक में रखी उस डायरी में कुछ लिखता था / समुन्द्र की सुन्दर मछलियाँ जानती थीं कि वह बूढा उस डायरी से बहुत प्यार करता है / उस डायरी में उसकी स्मृतियाँ साँस लेती हैं / इन स्मृतियों के सहारे ही वह उन नक्षत्रों को देखा करता था जो रात - भर धूसर आसमान में पैदल चला करते थे / /पता नहीं ये नक्षत्र शून्य आकाश में मुँह अंधेरे किस राह चल पड़ते हैं और इनके चलने से पृथ्वी के उस आखिरी कोने में बैठी वह स्त्री अपनी बकरियों के साथ घास के मैदानों की ओर चल पड़ती है / उसे मैदान में एक थका हुआ गधा मिलता है जो सदियों से कोई बोझ उठाए रम्भाये जा रहा है / उसका रम्भाना देखकर इतिहास एक टीले पर चला जाता है / टीले पर एक बुढ़िया पौराणिक कथाओं की झोली से कुछ कथाएं बीन रही है या कहें रुई की तरह धुन रही है प र उसके आस- पास कहीं भी बच्चे नहीं हैं / बच्चे पृथ्वी से लुफ्त हो रहें हैं / उनके लिए न कोई बगीचा बचा न चिड़ियों के झुण्ड / कहाँ गए ये बच्चे ? प्रश्न बेचैन है उत्तर कहीं छिप गया है / आपने कभी आँख - मिचौनी का खेल खेला है / सुना है जो खेलते हैं उन्हें बड़ा मजा आता है / दस छिपते हैं एक ढूंढता है /
पृथ्वी रेगिस्तान के उस रेतीले कुएँ से एक घड़ा मीठा पानी लेकर लौट रही है जिसके बारे में कहा और सुना जाता रहा कि वह कुँआ पानी के बदले हंसी के कुछ खनखनाते सिक्के मांगता है / उस कुएँ में एक जादूगरनी रहती है जो रात भर रेगिस्तान में रेत के टीले बनाती है । उन टीलों से आधी रात में जुगनू निकलते हैं / उनकी फुकफुकाती रोशनी में आकाश नहा लेता है और अपने काले -गीले लिबास को दूर कहीं एक पेड़ की फुनगी पर छोड़ आता है / भोर होने पर एक कौआ उस लिबास को पहनकर उड़ जाता है और जा पहुंचता है उस टापू पर जहाँ वह बूढा अपनी डायरी में एक राजकुमारी की कथा लिख रहा होता है / राजकुमारी ....... जिसे होना चाहिए था किसी राजमहल में अपने राजकुमार के साथ / पर राजकुमारी जंगलों में है / जंगल। …… जो मौन हैं बीहड़ हैं पर ये राजकुमारी का साथ नहीं छोड़ते / राजकुमारी के आँसू से जंगल दहकता है / बूढा कहानी लिखते जाता है पर वह जादूगरनी नहीं मिलती जिसने राजकुमारी को इन जंगलों में बांध दिया है /
इतिहास टीले से उत्तर आता है और चला जाता है किताब के पन्नों में थोड़ा सुस्ताने के लिए / किताबें भी आल्मारिओं में कैद हैं / देर रात जब बूढा चौकीदार अपनी थकी टांगों से थकान उतारता है तब किताबें निकलती हैं अपनी कब्रगाहों से / कुछ देर उनके पन्ने फड़फड़ाते रहते हैं खुली हवा में / फिर मशगूल हो जाती हैं किताबें अपनी बतकहीं में /
बूढा, चाँद को अपनी कहानी का राजदार बनाता है और चाँद इंतज़ार में है कि कब राजकुमारी हँसेगी / राजकुमारी के हंसने से जंगल में बसंत आएगा / बसंत के आने से पृथ्वी पर फूल खिलेंगे , तितलियाँ आएंगी और बूढा ...... अपनी डायरी के साथ समुद्र की सुन्दर मछलियों को कोई नई कथा सुनाएगा /
पृथ्वी रेगिस्तान के उस रेतीले कुएँ से एक घड़ा मीठा पानी लेकर लौट रही है जिसके बारे में कहा और सुना जाता रहा कि वह कुँआ पानी के बदले हंसी के कुछ खनखनाते सिक्के मांगता है / उस कुएँ में एक जादूगरनी रहती है जो रात भर रेगिस्तान में रेत के टीले बनाती है । उन टीलों से आधी रात में जुगनू निकलते हैं / उनकी फुकफुकाती रोशनी में आकाश नहा लेता है और अपने काले -गीले लिबास को दूर कहीं एक पेड़ की फुनगी पर छोड़ आता है / भोर होने पर एक कौआ उस लिबास को पहनकर उड़ जाता है और जा पहुंचता है उस टापू पर जहाँ वह बूढा अपनी डायरी में एक राजकुमारी की कथा लिख रहा होता है / राजकुमारी ....... जिसे होना चाहिए था किसी राजमहल में अपने राजकुमार के साथ / पर राजकुमारी जंगलों में है / जंगल। …… जो मौन हैं बीहड़ हैं पर ये राजकुमारी का साथ नहीं छोड़ते / राजकुमारी के आँसू से जंगल दहकता है / बूढा कहानी लिखते जाता है पर वह जादूगरनी नहीं मिलती जिसने राजकुमारी को इन जंगलों में बांध दिया है /
इतिहास टीले से उत्तर आता है और चला जाता है किताब के पन्नों में थोड़ा सुस्ताने के लिए / किताबें भी आल्मारिओं में कैद हैं / देर रात जब बूढा चौकीदार अपनी थकी टांगों से थकान उतारता है तब किताबें निकलती हैं अपनी कब्रगाहों से / कुछ देर उनके पन्ने फड़फड़ाते रहते हैं खुली हवा में / फिर मशगूल हो जाती हैं किताबें अपनी बतकहीं में /
बूढा, चाँद को अपनी कहानी का राजदार बनाता है और चाँद इंतज़ार में है कि कब राजकुमारी हँसेगी / राजकुमारी के हंसने से जंगल में बसंत आएगा / बसंत के आने से पृथ्वी पर फूल खिलेंगे , तितलियाँ आएंगी और बूढा ...... अपनी डायरी के साथ समुद्र की सुन्दर मछलियों को कोई नई कथा सुनाएगा /