पतझड़
शनिवार, 29 मार्च 2014
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घना अँधेरा
लाल लकीरें
काली परछाइयाँ
नकाब पोश चेहरे
ठूँठ खड़ा वह पेड़
उतरता पतझड़
बारूद सी हवा
नसों को चीरती
तड़पता पक्षी
टूट ती साँस
सूना आकाश
धीमा फैलता जहर
उतरता गहन अंधकार
डूबता मन पारावार /
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