शुक्रवार, 14 फ़रवरी 2014

मेरा प्रेम उदास खड़ा था /

बरसों  बाद
बड़ी लंबी  नींद से जगा था मैं
 जाने कितने रतजगे के बाद
ऐसी नींद सोया था /
घर चुपचाप
मेरे बिस्तर पर तना
मेरे जागने   का इंतजार कर रहा था

मेरी किताबें
अलसाई -सी
अलमारियों में क़ैद थीं
और वे भी इंतजार में थीं ....
अपने पढ़े जाने की /







अच्छा लगा था ....
धूप का यूँ दबे  पाँव आना
और ...
हौले से एक मीठा चुम्बन

मेरे गालों पर दे जाना।
पर यह कौन है
जो मेरे सिरहाने खड़ा है
और उदास भी है /







तनिक ठहरकर
आँखों ने पहचानने की कोशिश की
मन ने तस्सली दिया
यह मेरा अपना ही है
और कोई नहीं
मेरे सिरहाने
मेरा प्रेम उदास खड़ा था /

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