हमारे बाबूजी ....
रिटायर हो चुके हैं ......
हमने भी उनको
घर का एक कोना दे दिया है
जहाँ
एक सामान की तरह पड़े रहना है उन्हें /
बाबूजी ....
हमारे घर की नींव थे
पर आज
हमें अपने कांगूरों से प्यार है /
हमने उन्हें अपनी दुनिया से बेदखल कर दिया है
सौंपा है उन्हें एकांत
जहाँ केवल धुन्ध है
चेहरों पर/
और
उदासी के साथ
अपने चूकने की पीड़ा भी है /
अब अक्सर
वे दूर तक निकल जाते हैं
जहाँ हमारी हँसी की खिलखिलाहटें
नहीं पहुँच पातीं /
कहीं दूर से लौटते हुए बाबूजी सूनी निगाहों से
टटोलते हैं
अपनों के चेहरों पर
थोड़ी - सी मिठास
और थोड़ा - सा नमक /
रिटायर हो चुके हैं ......
हमने भी उनको
घर का एक कोना दे दिया है
जहाँ
एक सामान की तरह पड़े रहना है उन्हें /
बाबूजी ....
हमारे घर की नींव थे
पर आज
हमें अपने कांगूरों से प्यार है /
हमने उन्हें अपनी दुनिया से बेदखल कर दिया है
सौंपा है उन्हें एकांत
जहाँ केवल धुन्ध है
चेहरों पर/
और
उदासी के साथ
अपने चूकने की पीड़ा भी है /
अब अक्सर
वे दूर तक निकल जाते हैं
जहाँ हमारी हँसी की खिलखिलाहटें
नहीं पहुँच पातीं /
कहीं दूर से लौटते हुए बाबूजी सूनी निगाहों से
टटोलते हैं
अपनों के चेहरों पर
थोड़ी - सी मिठास
और थोड़ा - सा नमक /
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