कुछ बहाने
अपने आप में कितनी बड़ी वजह बन जाते हैं
वक्त आने पर
हम हम नहीं रहते
तुम तुम नहीं रहते....
दूर कहीं एक रेलगाड़ी आती है ...
और
हम चल पड़ते हैं ....
पीछे छोड़ते हुए एक लंबा इंतजार .../
कुछ चि ठि ठ यां ....
बिना बाँ चे रह जाती हैं
दुख चुपके से आता है
और
मन के एक खाली कोने में
एक घर बना लेता है
दुख के साथ आते हैं
वे दिन भी
जब तुम्हें छोड़ आया था
स्टेशन के भीड़- भाड़ में ...
और तुम इंतजार करती रह गई थीं ...
शायद अंतिम ट्रेन छूटने तक ..
तुम बोझिल कदमों से
लौ ट ती हुई
भीड़ में गुम हो गईं थीं/
मैं भी लौटा था ...
अपने कुछ बहानों के साथ ..../
अपने आप में कितनी बड़ी वजह बन जाते हैं
वक्त आने पर
हम हम नहीं रहते
तुम तुम नहीं रहते....
दूर कहीं एक रेलगाड़ी आती है ...
और
हम चल पड़ते हैं ....
पीछे छोड़ते हुए एक लंबा इंतजार .../
कुछ चि ठि ठ यां ....
बिना बाँ चे रह जाती हैं
दुख चुपके से आता है
और
मन के एक खाली कोने में
एक घर बना लेता है
दुख के साथ आते हैं
वे दिन भी
जब तुम्हें छोड़ आया था
स्टेशन के भीड़- भाड़ में ...
और तुम इंतजार करती रह गई थीं ...
शायद अंतिम ट्रेन छूटने तक ..
तुम बोझिल कदमों से
लौ ट ती हुई
भीड़ में गुम हो गईं थीं/
मैं भी लौटा था ...
अपने कुछ बहानों के साथ ..../
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