शुक्रवार, 15 नवंबर 2013

आश्वस्त हूँ ....

आश्वस्त  हूँ
इस पृथ्वी पर
कहीं कोई मेरा इंतजार नहीं कर रहा होगा /

 खुले रखे होंगे
किसी ने दरवाजे....
 किसी हल्के आहट पर
कोई पीछे मुड़कर
मेरे लिए देख रहा होगा /


 कोई चिट्ठी आएगी मेरे नाम
 मुंडेर पर रखा जाएगा 
मेरे नाम का दीया ....

धीरे - धीरे झड़ता जाउँगा 
बुरादे की तरह ....
तुम्हारी स्मृतियों से
और एक दिन 
लौट जा उँगा  
अपनी माटी के पास

आश्वस्त  हूँ
कहीं कोई मेरा इंतजार नहीं कर रहा होगा /




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