कल करवा चौथ था / दाम्पत्य प्रेम के बंधन को आस्था के डोर से बाँधने वाला व्रत / हम औरतें अपने पतियों या प्रिय के लिए , उसके सुख - समृधि के लिए , उसकी आरोग्यता के लिए निर्जला उपवास रखतीं हैं / हम तो अपना सारा जीवन अपने पतियों के लिए वारती हैं/पर बहुत कम पति इस बात को समझ पाते हैं / हम औरतें भी अजीब हैं / किसी को अपना मान लिया तो बस मान लिया और वह लाख चाहे उसकी परवाह न करता हो पर इससे हम पर कोई फर्क नहीं पड़ता / हम औरतें इस मायने में बहुत मजबूत और दृढ होती हैं / कल का दिन हमारे प्रेम के परीक्षा का भी था / मैंने तो अपना फर्ज निभाया / सारा दिन चाँद के प्रेम में उपवास रखा / उसकी प्रतीक्षा करते - करते रात के साढ़े आठ बज गए / तब जाकर चाँद देवता मुस्कराते हुए उदित हुए / चाँद देवता ही तो आज के दिन आराध्य होते हैं / दूर आकाश में बादलों की ओट में छिपे आखिरकार चाँद देवता अपनी आराध्याओं पर प्रसन्न होकर सामने आये / चाँद देवता ने तो अपनी टेक निभाई पर .........../ आस्था , विश्वास , प्रेम , ......... मिट नहीं सकते / इस व्रत की यही तो महिमा है / हमारी संस्कृति यही सिखाती है / आस्था रखो / इससे बड़ा बल कोई नहीं है/
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