सदी का सबसे बड़ा कवि चिंतित था
गाँव को शहर में बदलता देख
और शहर को धीरे - धीरे मरता देख /
वह चिंतित था
कुछ सवालों से
जो आये दिन
उसकी पेशानी पर
यकायक उभर आते थे
चैनलों की बाढ़ में उसे
अपना देश जुगाली करता दिखता /
उसके सपनों में आते
बुजुर्गियत ओढ़े बच्चे ,
नंगी औरतें ,
आधुनिकता को ढोल की तरह
लटकाए युवा
और वह आम आदमी भी
जो गाँधी की टोपी की मानिंद
इधर से उधर उछाला जा रहा था /
आम आदमी का मुहावरा
कवि के चेहरे को नमकीन बना रहा था /
इस मुहावरे के जरिए वह दाखिल हो रहा था
एक ऐसी तिलस्मी दुनिया में
जहाँ पुरस्कारों के लिए
उसकी पीढ़ी के कवि
कोरस में मर्सिया पढ़ रहे थे /
गाँव को शहर में बदलता देख
और शहर को धीरे - धीरे मरता देख /
वह चिंतित था
कुछ सवालों से
जो आये दिन
उसकी पेशानी पर
यकायक उभर आते थे
चैनलों की बाढ़ में उसे
अपना देश जुगाली करता दिखता /
उसके सपनों में आते
बुजुर्गियत ओढ़े बच्चे ,
नंगी औरतें ,
आधुनिकता को ढोल की तरह
लटकाए युवा
और वह आम आदमी भी
जो गाँधी की टोपी की मानिंद
इधर से उधर उछाला जा रहा था /
आम आदमी का मुहावरा
कवि के चेहरे को नमकीन बना रहा था /
इस मुहावरे के जरिए वह दाखिल हो रहा था
एक ऐसी तिलस्मी दुनिया में
जहाँ पुरस्कारों के लिए
उसकी पीढ़ी के कवि
कोरस में मर्सिया पढ़ रहे थे /
excellent
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