सोमवार, 6 जून 2011

सरकार का अलोकतांत्रिक कदम

 आखिरकार  बाबा रामदेव को सरकार ने गच्चा दे ही दिया / यह होना शत प्रतिशत  तय  था / पर हैरानी वाली बात यह है कि सरकार  आगे इस  मामले में  जिस तरीके से  आगे बढ़ रही थी अचानक उसने अपनी नीति में बदलाव क्यों कर लिया ? कल तक सरकार ने बाबा की आवाभगत की/ अपने मंत्रिओं को भेजकर  बाबा को मनाने की 
कोशिश की और अचानक बाबा पर लाठिया बरसाने का फैसला कर लिया ? बाबा को रामलीला के मैदान से हटाकर हरिद्वार भेज दिया  गया  / कल जिस तरीके से बाबा रामदेव के साथ सरकार ने बर्ताव किया है वह किसी भी तरीके से जायज नहीं है / आधी रात को  पुलिस जिस तरीके से सत्याग्रहियों और बाबा रामदेव पर टूटी है उसकी जितनी निंदा की जाये वह कम है /
क्या सरकार  इस मसले को दूसरे तरीके से हल नहीं कर सकती थी /  मुझे लगता है कि सरकार ने इस मसले को  दमन के जरिए  जिस तरीके से दबाने की कोशिश की है उससे बाबा रामदेव को दुनिया भर  के लोगो का   समर्थन ही मिला /  सरकार का यह कदम एक गलत फैसला है / उसने इस मुद्दे को हवा दे दी है / अब देखिए यह हवा आंधी बनती है या  इसकी हवा निकाल दे जाती है /  

गुरुवार, 2 जून 2011

भ्रष्टाचार : पहले अन्ना हजारे और अब रामदेव

 अभी देश के अख़बारों और समाचार चैनलों में जिस खबर को बड़ी खबर बताया जा रहा है और जिसे एक तरीके से प्रोमोट किया जा रहा है वह है  भ्रष्टाचार पर स्वामी रामदेव का  घोषित  सत्याग्रह / अभी कुछ दिनों पहले इस मुद्दे पर  अन्ना हजारे सुर्खियाँ बटोर रहे थे / अब इस मुद्दे पर बाबा रामदेव आगे आ चुके हैं/ जब अन्ना भ्रष्टाचार की नकेल कसने के लिये लोकपाल बिल में कुछ जरुरी नीतियों और कानूनों को शामिल करने के लिये  अनशन   पर बैठे हर थे और जिस तरीके से उन्हें जन समर्थन मिला उससे यह आशा बंधी कि शायद कुछ  बेहतर  रास्ते  निकल आएंगे और सरकार भी इस मुद्दे पर कुछ सचेत दिखी / पर आज की तारीख में आप  और हम देख सकते हैं कि  अन्ना  हजारे जहाँ खुद कह रहे हैं  कि सरकार ने हमसे बेइमानी की और हमें अँधेरे में रखा /  सत्ता पक्ष से आप   सीधी लड़ाई नहीं लड़ सकते हो / सत्ताएं अपने आप को सुरक्षित रखने के लिये तमाम तरीकों को इजाद करती हैं/  हम सब को याद है कि अन्ना हजारे ने लोकपाल बिल में जनता की तरफ से जन प्रतिनिधियों का जो दल बनाया  था    उसका क्या हस्र हुआ /


अब बाबा रामदेव इसी मुद्दे पर सत्याग्रह करने का  एलान  कर चुके हैं / ४ जून से अपने लाखों समर्थकों के साथ इसे अन्ना हजारे की तरह आन्दोलन का रूप देने जा रहे हैं / वैसे सरकार उनसे मिन्नत   कर चुकी है / खुद प्रधानमंत्री उनसे आग्रह कर चुके हैं कि हम इसे लेकर खुद ही गंभीर हैं आप सत्याग्रह पर मत बैठे/ कांग्रेस के सिपहसलार उन्हें मनाने एअरपोर्ट तक पहुँच गए  थे पर  बाबा रामदेव नहीं माने / वैसे देखा जाये तो अभी बाबा रामदेव मानेगें भी नहीं /  कारण सबको  मालूम है / 

एक सवाल यह भी उठता है कि हमारे हिन्दुस्तान में कोई भी आन्दोलन आजादी के बाद क्यों नहीं  सफल  हुआ ? एक बड़ा साफ़ कारण दिखलाई पड़ता है / असल में हम हिन्दुस्तानी जो भी परिवर्तन लाना कहते हैं वह दूसरों में लाना कहते हैं हम खुद उस परिवर्तन से अपने आप को अछूता रखते हैं /
हम चाहते हैं कि हमारे देश से भ्रष्टाचार मिटे पर खुद अपने आप से यह पहल नहीं करते / मैंने यह देखा था  कि जब अन्ना हजारे अनशन पर बैठे हुए थे तब जगह जगह उनके आन्दोलन को समर्थन देने के लिये मोमबत्ती लेकर पद यात्रायें की गई थी और उन यात्राओं में अधिकतर वे लोग शामिल थे जो खुद कहीं न कहीं कभी न कभी अपने आचरण में भ्रष्ट रहे थे / अगर  आप भ्रष्टाचार का अर्थ सिर्फ आर्थिक कदाचार लगते हैं तो आप बहुत बड़ी ग़लतफ़हमी का शिकार हैं /  हम खुद बातें तो बड़ी बड़ी करते हैं पर जब मौका  मिलता है तो महज कुछ स्वार्थों के लिये हर प्रकार के  कदाचार के लिये तैयार हो जाते हैं / जब तक हम जो आन्दोलन के नाम पर एस. एम.एस  करते है , मोमबत्ती लेकर पदयात्रा करते हैं और अखबार में बिज्ञापन छपाते हैं , इन सब को छोड़कर अपने आचरण में बदलाव नहीं लायेंगे तब तक कोई भी आन्दोलन  सफल नहीं होने वाला है /

देखा जाये बाबा रामदेव का सत्याग्रह  क्या रंग लाता  है ?  उतरता है या चढ़ता है ? 


रविवार, 22 मई 2011

महिला शक्ति जय हो

अभी शुक्रवार को ममता बनर्जी ने मुख्यमंत्री के रूप में पश्चिम बंगाल की बागडोर को अपने हाथों में लिया है और गद्दी सँभालते ही उन्होंने जिस गति से पुरानी  लीक से हटते हुए काम काज करना आरम्भ किया है वह काबिले तारीफ है ममता बनर्जी के रूप में बंगाल को पहली बार  एक महिला मुख्यमंत्री मिली है जो अभी अपनी  साफ़ सुथरी छवि और माँ,  माटी और मानुष के प्रति हद से ज्यादा जागरूक है

ममता बनर्जी को अलग तरीके से काम करते देख कर यह तो जरुर लगता है कि पुरुषो की तुलना में महिलाएं   ज्यादा सक्षम होती हैं  और वे किसी भी दायित्वा  को   बड़ी  गंभीरता के साथ निभा सकती हैं महिलाएं पुरुषों की तुलना में ज्यादा अनुशासित भी होती हैं

आज ममता बनर्जी महिला होते हुए भी जिस तरीके से एक लम्बा संघर्ष करते हुए आगे आई हैं तथा अपनी जड़ों को मजबूत किया है  वह अपने आप में  अतुलनीय है

बंगाल का  तख़्त जो उन्हें मिला है वह चुनौतिओं से भरा हुआ है लोगों की ढेरों  उम्मीदें उनसे लगी हैं लोग आशा से उनकी तरफ देख रहे हैं उन्हें लगता है कि ममता बनर्जी के हाथों में कोई जादू की छड़ी है जिसे वह घुमाते ही बंगाल की काया पलट कर देंगी /  अभी तो आगाज है देखे अंजाम क्या होता है  

रविवार, 15 मई 2011

भारतीय लोकतंत्र की जय हो

        अभी हाल ही में पांच राज्यों में चुनाव  संपन्न हुआ है और इस चुनाव में भारतीय लोकतंत्र की जय हुई है इस चुनाव के बाद यह साबित हो चुका है कि अब भारतीय लोकमानस सजग और जागरूक हो चुका है वह अपनी भूमिका से परिचित हो चुका है अब उसे कम करके आंकना बुद्धिमानी नहीं होगी आज वह जान चुका है कि भारतीय  राजनीति  को सही दिशा देने में उसकी एक सार्थक और गंभीर भूमिका है और वह अपनी इस भूमिका को बड़ी संजीदिगी ओर चुप्पी के साथ निभाता है इस बार के चुनावों में जनगण की चुप्पी से बहुत सारे राजनीतिक दल धरासायी  हो  गए उन्हें  यह अंदाज ही न रहा कि जनता क्या सोच  रही है अब इन दलों को जागना पड़ेगा और अपनी सोच को बदलना भी पड़ेगा/     जनगण से दूरी   सत्ता से बेदखल भी कर सकता है जनता को कम करके आंकना अब नहीं चलने वाला है /

एक और बात इस संदर्भ में देखना  लाजिमी है कि   जनता अब भ्रष्ट चरियों और भ्रष्टता को किसी भी कीमत पर सत्ता नहीं   सौ पेगी   / इसके साथ ही सत्ता के मद में डूबे राजनीतिक दलों को भी जनता सत्ता से दूर ही रखेगी यह तो अब तय हो चुका है /

आज  जरूरत  इस बात की है कि राजनीतिक दलों को अपना चरित्र बदलना पड़ेगा जनता से दूर जाकर कोई भी  नीति बनाने से सत्ता नहीं हासिल होगी. जनगण का सम्मान करना पड़ेगा जब जब जनगण को सत्ता द्वारा छल  और  अपमानित किया जायेगा तब तब सत्ता का तख्ता पलट होना  स्वाभाविक है /


भारतीय लोकतंत्र की जय हो

पांच राज्यों के चुनावों के नतीजे आ चुके हैं और इन नतीजों ने यह साबित कर दिया है कि भारतीय लोकतंत्र अब सजग हो चुका है और शक्तिशाली भी. उन राजनीतिक   दलों को अब सावधान हो जाना चाहिए जो जनता को कम करके आंकते हैं उन्हें मूर्ख मानते  हैं  आज जनगण बहुत सजग हो चुका है अब

रविवार, 8 मई 2011

ma tujhe salam

       माँ   तुझे सलाम

दर्द से कराहती वह
छट पटाती तड़पती
मृत्यु - शैय्या पर पड़ी
दिन गिन रही है ज़िन्दगी की
राह देख रही है मृत्यु की
जो उसे राहत देगी उस असहनीय  पीड़ा से
जो आजाद कर देगी उसे 
जीर्ण- शीर्ण कलेवर से
अनचाहे उदास , उखड़े हुए रिश्तों  से
अपनों - परायों से, गाँव -घर की स्मृतियों से /

वह भी साथ है में
जिसके साथ उसने
अपने जीवन के पैंतीस साल गुजारे थे 
साथ दिया था हर सुख में हर दुःख में /
 पर आज वह 
दवा की दो टिकिया दे 
अपना फर्ज निभा जाता है 
उसे फिक्र है उसकी गृहस्थी   
अब कौन संभालेगा ?
और वे सपूत
जो उसकी कोख से पैदा हुए  
 कहते  तो माँ हैं उसे
पर माँ के दुःख को अपना नहीं समझते /
उन्हें भी वक्त नहीं है आज
अपनी माँ के लिये 
वही माँ जो कल तक 
सब कुछ थी उनके लिये 
पर आज वे  डिस्टरब   होते हैं
माँ की कराह से 
परेशान होते हैं दवाइयों    की गंध से /
मन बेचैन है , व्यथित  है
शू न्य  में मनो 
माँ की आँखे सवाल करती हैं 
क्या खून पानी से भी पतला हो गया है ?    
  

बुधवार, 4 मई 2011

aatank ka sargana Laden khatam hua ?

             आतंक का सरगना लादेन ख़तम हुआ - इस पर विश्व के अधिकांश देश खुशियाँ मना रहे हैं पर सोचने वाली बात यह है कि क्या केवल एक लादेन के मारे जाने पर  आतंकवाद का सफाया हो जायेगा?  क्या आतंक के नाम पर  निरीह लोगो को मारने वाले चुपचाप बैठे रहेंगे ? आज जरुरत इस बात की है  कि विश्व के सारे देशों को आतंकवाद के मसले पर एकजुट होना पड़ेगा.  आज हम देख सकते हैं कि पाकिस्तान आतंकवाद के मुद्दे पर पूरे विश्व  से अलग थलग खड़ा है उसे यह अहसास तक नहीं है कि इस आतंकवाद को बढ़ावा देते देते वह खुद बारूद के ढेर पर बैठ चुका है आज हालात यह है कि अमेरिका उसकी ज़मीन पर आकर अपने खुफिया   मिशन को अंजाम दे देता है और पाकिस्तान को हवा तक नहीं लगने देता है यह पाकिस्तान को एक चेतावनी भी है पर कुछ देश होते हैं मूर्ख/ पाकिस्तान ऐसा ही है. जो अपनी संप्रभुता  को  दांव पर लगा चुका है  इस मामले में अमेरिका  को अपनी दादागिरी देखने को मौका भी मिला  और अमेरिका ने दुनिया  के सामने एक सीख़ भी रख दिया   कि अमेरिका अपने दुश्मनों  को किसी भी कीमत पर छोड़ता नहीं है 

 लादेन की मौत पर जायदा खुश होने की जरुरत नहीं है / अभी आतंकवाद के खिलाफ पूरे विश्व को एक लम्बी लड़ाई लड़नी है / इस लड़ाई में कुछ जरुरी मुद्दे हैं जिन पर भी विचार करना पड़ेगा /