अभी हाल ही में पांच राज्यों में चुनाव संपन्न हुआ है और इस चुनाव में भारतीय लोकतंत्र की जय हुई है इस चुनाव के बाद यह साबित हो चुका है कि अब भारतीय लोकमानस सजग और जागरूक हो चुका है वह अपनी भूमिका से परिचित हो चुका है अब उसे कम करके आंकना बुद्धिमानी नहीं होगी आज वह जान चुका है कि भारतीय राजनीति को सही दिशा देने में उसकी एक सार्थक और गंभीर भूमिका है और वह अपनी इस भूमिका को बड़ी संजीदिगी ओर चुप्पी के साथ निभाता है इस बार के चुनावों में जनगण की चुप्पी से बहुत सारे राजनीतिक दल धरासायी हो गए उन्हें यह अंदाज ही न रहा कि जनता क्या सोच रही है अब इन दलों को जागना पड़ेगा और अपनी सोच को बदलना भी पड़ेगा/ जनगण से दूरी सत्ता से बेदखल भी कर सकता है जनता को कम करके आंकना अब नहीं चलने वाला है /
एक और बात इस संदर्भ में देखना लाजिमी है कि जनता अब भ्रष्ट चरियों और भ्रष्टता को किसी भी कीमत पर सत्ता नहीं सौ पेगी / इसके साथ ही सत्ता के मद में डूबे राजनीतिक दलों को भी जनता सत्ता से दूर ही रखेगी यह तो अब तय हो चुका है /
आज जरूरत इस बात की है कि राजनीतिक दलों को अपना चरित्र बदलना पड़ेगा जनता से दूर जाकर कोई भी नीति बनाने से सत्ता नहीं हासिल होगी. जनगण का सम्मान करना पड़ेगा जब जब जनगण को सत्ता द्वारा छल और अपमानित किया जायेगा तब तब सत्ता का तख्ता पलट होना स्वाभाविक है /
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