रविवार, 15 मई 2011

भारतीय लोकतंत्र की जय हो

        अभी हाल ही में पांच राज्यों में चुनाव  संपन्न हुआ है और इस चुनाव में भारतीय लोकतंत्र की जय हुई है इस चुनाव के बाद यह साबित हो चुका है कि अब भारतीय लोकमानस सजग और जागरूक हो चुका है वह अपनी भूमिका से परिचित हो चुका है अब उसे कम करके आंकना बुद्धिमानी नहीं होगी आज वह जान चुका है कि भारतीय  राजनीति  को सही दिशा देने में उसकी एक सार्थक और गंभीर भूमिका है और वह अपनी इस भूमिका को बड़ी संजीदिगी ओर चुप्पी के साथ निभाता है इस बार के चुनावों में जनगण की चुप्पी से बहुत सारे राजनीतिक दल धरासायी  हो  गए उन्हें  यह अंदाज ही न रहा कि जनता क्या सोच  रही है अब इन दलों को जागना पड़ेगा और अपनी सोच को बदलना भी पड़ेगा/     जनगण से दूरी   सत्ता से बेदखल भी कर सकता है जनता को कम करके आंकना अब नहीं चलने वाला है /

एक और बात इस संदर्भ में देखना  लाजिमी है कि   जनता अब भ्रष्ट चरियों और भ्रष्टता को किसी भी कीमत पर सत्ता नहीं   सौ पेगी   / इसके साथ ही सत्ता के मद में डूबे राजनीतिक दलों को भी जनता सत्ता से दूर ही रखेगी यह तो अब तय हो चुका है /

आज  जरूरत  इस बात की है कि राजनीतिक दलों को अपना चरित्र बदलना पड़ेगा जनता से दूर जाकर कोई भी  नीति बनाने से सत्ता नहीं हासिल होगी. जनगण का सम्मान करना पड़ेगा जब जब जनगण को सत्ता द्वारा छल  और  अपमानित किया जायेगा तब तब सत्ता का तख्ता पलट होना  स्वाभाविक है /


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