शनिवार, 23 जुलाई 2011

बेटियां

  बरसों बाद बेटी मायके लौटी है

घर - आँगन हंस - बोल रहा है
 दुआर पर पगुरा रहा बैल भी

हरिया  गया है /

बेटी आई है
घर तो गमकेगा ही
पलास की तरह
बेटी की हुलास में /

बेटियां होती ही ऐसी हैं
जहाँ जाती हैं वहीँ गांठ लेती हैं
संबंधों के  नए -नए डोर /

2 टिप्‍पणियां:

  1. बेटियां होती ही ऐसी हैं
    जहाँ जाती हैं वहीँ गांठ लेती हैं
    संबंधों के नए -नए डोर /
    सही कहा है आपने।

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  2. नमस्कार,
    बहुत अच्छी लगी आपकी यह कविता.शुभकामनायें.....

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