अधेड़ होती स्त्री
अब अपने बारे में ज्यादा नहीं सोचती
सोचना उसने अब बंद कर दिया है /
चुपचाप धीमे - धीमे वह
सबकुछ स्वीकारती चली जा रही है
जानती है वह
कि अब वह धीरे- धीरे चुक रही है /
अब वह अपने बारे में ज्यादा नहीं सोचती
सोचना उसने अब बंद कर दिया है /
खुला रहता है उसके घर का दरवाजा
पर बंद रहता है उसके मन का किवाड़
उसे पता है कि
लोग भी अब उसके बारे में नहीं सोचते /
वह कटती जाती है अपने आस- पास से
अधेड़ होती स्त्री
घिरती जाती है
एक सन्नाटे में
जो उसका अपना होकर भी
उसका नहीं होता/
वह बिनती रहती है
कुछ लम्हों को , कुछ पलों को
स्मृतियों की पुरानी पड़ती जा रही कोटर से
कुछ चेहरों को झाड़ती- पोंछती रहती है
वापस सहेज कर रखने के लिए /
अधेड़ होती स्त्री
अब अपने बारे में ज्यादा नहीं सोचती /
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