छात्र हमारे सामाजिक जीवन के सबसे महत्वपूर्ण अंग होते हैं पर आज कल के छात्रों को देखकर बड़ी निराशा होती है न पढने से इनका कोई सरोकार होता है और न कुछ सीखने के प्रति दिलचस्पी / आप कॉलेज के छात्रों से मिल लीजिए तो यह हकीकत आपके सामने आ जाएगी / अब उनके लिये कॉलेज पढने का केंद्र नहीं रह गया है बल्कि राजनीति और फैशन करने का अखाड़ा बन चुका है अब वे न तो ज्ञान के प्रति जागरूक हैं और न गंभीर तरीके से कुछ पढना चाहते हैं.
अब तो वे चयन किए गए कुछ सवालो को पढ़कर परीक्षा की नदी पार कर लेना चाहते हैं जैसे तैसे जल्दी से नौकरी पा जाना चाहते हैं
राजनीति ने भी छात्रों का बेडा गर्क किया है राजनीति की सही समझ सभी छात्रों को है ऐसा नहीं कहा जा सकता
राजनीति का मतलब यह नहीं होता की हम विरोध के नाम पर सब सीमाओ को लाँघ जाये उंचश्रिंखल बन जाए
विरोध के नाम पर , राजनीति करने के नाम पर पढाई से तौबा कर ले और यह मानकर चले की राजनीति में किसी पार्टी का झंडा ढोने मात्र से नौकरी मिल जाएगी तो यह खाई में गिरने के समान है
ऐसा नहीं है की सारा दोष इन छात्रो पर लाद दिया जाए इसके लिये अध्यापक वर्ग भी बहुत हद तक जिम्मेदार है हम अध्यापको ने छात्रों को बेलगाम छोड़ दिया हैं हम अध्यापक भी ओछी राजनीति करते हैं और अपनी भूमिका से कहीं न कहीं मुँह चुराते हैं
आज अध्यापन की दुनिया में ऐसे लोगो की भरमार है जो इस पेशे को महज नौकरी मानते हैं न कुछ नया पढ़ते हैं और न छात्रों को पढने के लिये प्रेरित करते हैं बस क्लास लेने तक अपने आप को सीमित रखते हैं
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें