सोमवार, 15 नवंबर 2010

भ्रस्टाचार को रोकने की कवायद

  देर से ही सही कांग्रेस ने भ्रस्टाचार के शक्तिशाली घोड़ो को लगाम लगाया है. अशोक चौहाण , कलमाड़ी और अब राजा की नकेल कसी जा चुकी है/ यह बड़े अचरज की बात है की भ्रस्टाचार में गले तक डूबे नेताओ को  अब शर्म नहीं आती है/ बड़े से बड़े आरोपों को ये आसानी से हजम कर जाते हैं और बड़ी राशियो को भी/. इस्तीफे देने के लिये इन पर हाई कमान  की तरफ से जब तक दबाव नहीं बनता तब तक ये अपना पद छोड़ना नहीं चाहते /. इनसे कोई पूछे की क्या पद पर रहने की नैतिकता का आपने कहाँ तक ध्यान रखा है ? क्या भ्रस्टाचार में आकंठ डूबते वक्त आपने अपने पद की गरिमा का ध्यान रखा ?

अब सोचने का वक्त आ गया  है की क्या ऐसे नेताओ  के बल पर हिदुस्तान अपने लोकतंत्र को सुचारू रूप से चला पायेगा ?

क्या इन नेताओ को वोट देते वक्त हमे अब सोचना नहीं चाहिए ?

 अब हिदुस्तान के वोटरों को आँख खोलना ही पड़ेगा आखिर कब तक हम ऐसे नेताओ को चुनते रहेंगे जो गद्दी मिलते ही सबसे पहले देश को और देश के आम आदमी  के मेहनत की कमाई  को  लूटने में लग जाते हैं /

फिलहाल कांग्रेस ने दबाव से ही सही भ्रस्त नेताओ को एक सबक तो दिया ही है पर सिर्फ इस्तीफे से काम नहीं चलने वाला है इन नेताओ पर कड़ी करवाई होनी चाहिय / सभी राजनीतिक दलो को ऐसे नेताओ को टिकट   ही नहीं देना चाहिए / और न तो ऐसे नेताओ को मंत्रिमंडल में कोई जगह मिलनी चाहिय ?  अब सबको इस भ्रस्टाचार के खिलाफ अपनी भूमिका साफ करनी होगी क्यों की यहाँ सभी हम्माम में नंगे हैं / और नंगो से हिंदुस्तान को मुक्ति पाना ही होगा.

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