उड़ जा हंसा
उड़ जा हंसा
देस हुआ बिराना
न कोई अपना न पराया
देस हुआ बेगाना .....
यह जग है
दुखों का डेरा
न है इसका कोई
ठौर - ठिकाना ....
मोह के बंधन
बड़े हैं ढीले ....
माटी के हैं
सब खेल- खिलौने ...
रिश्ते - नाते
सब झूठे
तम में
कोई न पूछे ....
चल दूर कहीं ...
उड़ जा हंसा
देस हुआ बिराना .....
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