हर किसी के पास
दुख की गठरी है
किसी की छोटी है तो
किसी के हिस्से बड़ी आई है .....
सब अपनी गठरी संभाले ....
एक दूसरे की गठरी को तौल रहे हैं
और
अपनी गठरी को एक दूसरे से भारी सिद्ध कर रहे हैं
और दुख गठरी में बैठा उदास है ......
सोच रहा है
कब गठरी खुले
और वह चैन की सांस ले ///
रोज - रोज की नाप- तौल से
ऊब चुका है वह
आँसुओं की सीलन
अब बर्दाश्त नहीं होती /
सोचता है
कुछ दिनों के लिए
परिंदों की तरह
उड़ आया जाए.कहीं किसी दूर देश में ....
दुख की गठरी है
किसी की छोटी है तो
किसी के हिस्से बड़ी आई है .....
सब अपनी गठरी संभाले ....
एक दूसरे की गठरी को तौल रहे हैं
और
अपनी गठरी को एक दूसरे से भारी सिद्ध कर रहे हैं
और दुख गठरी में बैठा उदास है ......
सोच रहा है
कब गठरी खुले
और वह चैन की सांस ले ///
रोज - रोज की नाप- तौल से
ऊब चुका है वह
आँसुओं की सीलन
अब बर्दाश्त नहीं होती /
सोचता है
कुछ दिनों के लिए
परिंदों की तरह
उड़ आया जाए.कहीं किसी दूर देश में ....
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