पृथ्वी के उस आख़िरी छोर पर
खड़ा वह मासूम जंगल
न जाने कब से सिसक रहा है
समझ में नहीं आता
जंगल को ढा ढ स
कैसे बंधाउं?
उसका दुख समझता हूं
मैं भी तो एक पिता हूं
मुझे भी अपने बेटे के लिए
कुछ हरियाली बचानी है
तोतों के उस झुंड को
आख़िरकार
एक अमरूद का पेड़ तो देना ही है /
जंगल रो रहा है
वे आ रहे हैं
वे सभ्यता के मिशन पर हैं
संस्कृति को बचाने की मुहिम पर निकले हैं /
जंगल कट रहा है .......
खड़ा वह मासूम जंगल
न जाने कब से सिसक रहा है
समझ में नहीं आता
जंगल को ढा ढ स
कैसे बंधाउं?
उसका दुख समझता हूं
मैं भी तो एक पिता हूं
मुझे भी अपने बेटे के लिए
कुछ हरियाली बचानी है
तोतों के उस झुंड को
आख़िरकार
एक अमरूद का पेड़ तो देना ही है /
जंगल रो रहा है
वे आ रहे हैं
वे सभ्यता के मिशन पर हैं
संस्कृति को बचाने की मुहिम पर निकले हैं /
जंगल कट रहा है .......
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