बरसों बाद दिदिया की याद आई थी
हम चकित थे
उनकी यादों को हम
दूर अतीत के किसी मोड़ पर
पीछे छोड़ आये थे /
बचना चाहते थे हम
उनकी बुझती हुई आँखों में
उठते हुए सवालों से /
दिदिया , जो हमारे लिए
बरसते बारिश में
छतनार का पेड़ थीं
जिनकी हथेलियों में
हमारे बचपन की डोर थी
घनघोर अँधेरे में वे हमारे लिए
उम्मीद का एक दीया थीं /
न जाने कहाँ से एक दिन
दिदिया केलिए फरमान आ गया था
लौटना था उन्हें
नेह - मोह .. सबकुछ छोड़कर /
हमारी जिद , हमारी प्रार्थनाएं
सब धरी की धरी रह गईं
हम दिदिया को रोक नहीं पाएं /
बड़ी जल्दी थी उन्हें
पता नहीं किस लोक जाना था /
रह - रहकर उनकी आँखें
कहीं दूर किसी प्रार्थना में
डूब जाती थीं
अक्सर एक नाम , एक चेहरा , एक इंतज़ार
उनके सफ़ेद पड़ते
श्रीहीन चेहरे पर
अनचाहे अतिथि की तरह
आ खड़ा होता था /
ऊपर से हंसती हुई दिदिया में
दुःख चुपचाप दहाड़े मारता था
विकट अकेलेपन में भी दिदिया ने
मंगल - गीत ही गाये थे
औरों के लिए /
..... एक अलस्सुबह
दिदिया चली गईं थीं
आश्वस्त हुए थे हम
दिदिया मुक्त हुईं
उन सबसे
जिनसे वे आजीवन बंधी रहीं
हमने उनकी स्मृतियों की पोटली को
बांधकर रख दिया था
हम उन्हें याद करना नहीं चाहते थे
क्योंकि
हम उन्हें बेहद प्यार करते थे ...../
उन्हें याद करना
दुःख के देश में
यात्रा पर निकलना था
हम यात्री नहीं थे
अब हम द्वीप बन चुके थे /
हम चकित थे
उनकी यादों को हम
दूर अतीत के किसी मोड़ पर
पीछे छोड़ आये थे /
बचना चाहते थे हम
उनकी बुझती हुई आँखों में
उठते हुए सवालों से /
दिदिया , जो हमारे लिए
बरसते बारिश में
छतनार का पेड़ थीं
जिनकी हथेलियों में
हमारे बचपन की डोर थी
घनघोर अँधेरे में वे हमारे लिए
उम्मीद का एक दीया थीं /
न जाने कहाँ से एक दिन
दिदिया केलिए फरमान आ गया था
लौटना था उन्हें
नेह - मोह .. सबकुछ छोड़कर /
हमारी जिद , हमारी प्रार्थनाएं
सब धरी की धरी रह गईं
हम दिदिया को रोक नहीं पाएं /
बड़ी जल्दी थी उन्हें
पता नहीं किस लोक जाना था /
रह - रहकर उनकी आँखें
कहीं दूर किसी प्रार्थना में
डूब जाती थीं
अक्सर एक नाम , एक चेहरा , एक इंतज़ार
उनके सफ़ेद पड़ते
श्रीहीन चेहरे पर
अनचाहे अतिथि की तरह
आ खड़ा होता था /
ऊपर से हंसती हुई दिदिया में
दुःख चुपचाप दहाड़े मारता था
विकट अकेलेपन में भी दिदिया ने
मंगल - गीत ही गाये थे
औरों के लिए /
..... एक अलस्सुबह
दिदिया चली गईं थीं
आश्वस्त हुए थे हम
दिदिया मुक्त हुईं
उन सबसे
जिनसे वे आजीवन बंधी रहीं
हमने उनकी स्मृतियों की पोटली को
बांधकर रख दिया था
हम उन्हें याद करना नहीं चाहते थे
क्योंकि
हम उन्हें बेहद प्यार करते थे ...../
उन्हें याद करना
दुःख के देश में
यात्रा पर निकलना था
हम यात्री नहीं थे
अब हम द्वीप बन चुके थे /
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