रविवार, 8 जनवरी 2012

प्रार्थना : गुरु कबीरदास के लिए - विजयदेव नारायण साही

दोस्तों , इस कविता की कुछ पंक्तियाँ .......


दो तो ऐसी निरीहता दो
 कि इस दहाड़ते  आतंक के बीच
फटकार  कर सच बोल सकूँ
और इसकी चिंता न हो
कि इस बहुमुखी युद्ध  में
मेरे सच का इस्तेमाल
कौन अपने पक्ष  में करेगा /

.....................

यह भी न दो
तो इतना ही दो
कि बिना मरे चुप रह सकूँ /  

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