मंगलवार, 29 नवंबर 2011

मुहावरा का बासी पड़ना

जिंदगी उसी की है
जो किसी का हो  गया -
यह मुहावरा अब बासी पड़ता जा रहा है
कोई किसी का नहीं होता -
जिंदगी का फलसफा तो यही कहता है /

जिंदगी के फलसफे में
 तजुर्बे ने भी हाँ में हाँ मिला दी है
अब कहाँ गुंजाइश है
बहस करने की ?
कुछ अपने तर्क देने की  
कुछ औरों की सुनने की

जिंदगी के तजुर्बे ने फलसफे से दोस्ती जो कर ली है
सच कहूँ दोस्तों ! यकीन करोगे न
तुम्हें नहीं लगता कि यक़ीनन  
अब जिंदगी का मुहावरा बासी पड़ता जा रहा है / 

4 टिप्‍पणियां:

  1. जिंदगी उसी की है
    जो किसी का हो गया -
    यह मुहावरा अब बासी पड़ता जा रहा है
    कोई किसी का नहीं होता -
    जिंदगी का फलसफा तो यही कहता है

    मैडम आपके भाव जिंदगीग के सही संदर्भों में मन को दोलायमान कर जाते हैं किंतु जिंदगी का पैमाना सबरे लिए एक सा नही होता है ।इस हसीन और खूबसूरत जिंदगी में हर जीच सप्तरंगी है एवं जिसने भी चाहा उसे अपने रंग में रंग लिय़ा एवं जो अपने को रंग नही पाए वो आजन्म इसे प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कोसते रहे । जिदगी स्थिर रहती है उसे देश, काल और वातावरण बदले में उत्प्रेरक का कार्य करते हैं । इसे देखते हुए ेक गीत की पक्तिया प्रस्तुत कर रहा हूं, इस आशा और विश्वास से की जिंदगी के प्रति जो परिभाषा आपके अमल और धवल मन मे घर कर गयी है उसे फिर से समझने के लिए अपनी वर्चस्व के साथ-साथ आपके दिल में थोड़ी सी जगह पा जाए। आज के लोगों की मान्यता है कि_

    "हर घड़ी बदल रही है रूप जिंदगी ,
    छाँव है कही, कहीं है धूप जिंदगी ,
    हर पल यहाँ जी भर जियो,
    जो है शमाँ कल हो ना हो । "

    बहुत सुंदर रचना । धन्यवाद। शुभ रात्रि । .

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  2. मेरे नए पोस्ट पर आपका आमंत्रण है ।

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  3. मेरे नए पोस्ट "साहिर लुधियानवी" पर आपका आमंत्रण है ।

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  4. आपका पोस्ट अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट "खुशवंत सिंह" पर आपकी प्रतिक्रियायों की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी । धन्यवाद ।

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