नदी को याद करती हुई कविताओं में सबसे बेहतर कविता
हम अगर यहाँ न होते आज तो
कहाँ होते , ताप्ती ?
होते कहीं किसी नदी - पार के गांव के
किसी पुराने कुएं में
डूबे होते किसी बहुत पुराने पीतल के
लोटे की तरह
जिस पर कभी - कभी धूप भी आती
और हमारे ऊपर किसी का भी नाम लिखा होता /
या फिर होते हम कहीं भी
किसी भी तरह से साथ- साथ रह लेते
दो ढेलों की तरह हर बारिश में घुलते
हर दोपहर गरमाते /-- उदयप्रकाश
हम अगर यहाँ न होते आज तो
कहाँ होते , ताप्ती ?
होते कहीं किसी नदी - पार के गांव के
किसी पुराने कुएं में
डूबे होते किसी बहुत पुराने पीतल के
लोटे की तरह
जिस पर कभी - कभी धूप भी आती
और हमारे ऊपर किसी का भी नाम लिखा होता /
या फिर होते हम कहीं भी
किसी भी तरह से साथ- साथ रह लेते
दो ढेलों की तरह हर बारिश में घुलते
हर दोपहर गरमाते /-- उदयप्रकाश
या फिर होते हम कहीं भी
जवाब देंहटाएंकिसी भी तरह से साथ- साथ रह लेते
दो ढेलों की तरह हर बारिश में घुलते
हर दोपहर गरमाते /-
उदय प्रकाश जी की कविताओं को पढने का मुझे भी अवसर मिला है । अन्य कविताओं की तरह उनकी यह कविता भी घनीभूत भावों से भरी है । मेर पोस्ट पर आकर मेरा भी मनोबल बढ़ाएं । धन्यवाद ।
इस रचना की संवेदना मन पर असर करती है।
जवाब देंहटाएं