तेरे दिल में कोई और घर कर गया
तुझसे कैसे अब मैं मुबारकें लूँ ?
कभी मंजिल हमारी एक थी
आज राहें जुदा हैं
तू रह अपने हमसफ़र के साये में
मैं भी अब तनहा एक सफ़र में हूँ /
तू मुबारकों में रह आमीन
मैं अभी बद्ददुआवों के सायों में हूँ/
तू चलाचल अपनी आरजूओं की मिन्नत में
ख्वाहिशों की बंदगी कर
मैं अभी जिंदगी वीराने के बसर में हूँ /
Happy teachers day.
जवाब देंहटाएंखूबसूरत नज़्म . आभार .नई सुबह जरुर आएगी .
जवाब देंहटाएंकृपया टिपण्णी करने के लिए वर्ड वेरिफिकेसन हटा दे .
जवाब देंहटाएंदिल को छूती रचना.. बहुत अच्छा लगा.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद.
हम तो मुबारकें दे ही सकते हैं इस बेहतरीन भावपूर्ण नज़्म के लिए।
जवाब देंहटाएंआप सभी को बहुत - बहुत शुक्रिया नज़म को पसंद करने के लिए /
जवाब देंहटाएंकिसी भी नज़्म को उसके कद्रदान ही खूबसूरत बनाते हैं /
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