मंगलवार, 23 अगस्त 2011

अन्ना के आगे झुकी सरकार

आखिरकार कुम्भकर्णी सरकार की नींद टूटी और जागते ही समझौते के  लिए  कवायद शुरू हो गई है /  अब देखिए यह समझौता किन- किन  शर्तों पर होता है ? सरकार की नीयत से अन्ना  वाकिफ हैं इसलिए उन्होंने साफ- साफ कह दिया है कि जब तक सरकार  लिखित अश्वासन नहीं दे देती तब तक  सरकार पर भरोसा नहीं किया जा सकता है / अभी सरकार और सिविल सोसाइटी के बीच बातचीत का पहला दौर खत्म हुआ है   / कल भी यह  प्रक्रिया जारी रहेगी /  सोचने वाली बात है कि अभी  तक सरकार हाथ पर हाथ  धरे बैठे रही / उसने इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार नहीं किया जिसका  परिणाम यह हुआ कि सरकार  को इस मामले में मुँह की खानी पड़ी / फजीहत तो हुई ही /  कांग्रेस को इस बात का श्रेय देना चाहिए कि उसने  आजादी के बाद संपूर्ण क्रांति के आन्दोलन को भी हवा दी  तथा आजादी के ६४ वर्ष बाद  फिर से देश को एकजुट हो जाने के  लिए माहौल तैयार किया/ अन्ना  को नायक बनाने के पीछे कांग्रेस की गलत नीतियाँ और उसके बड़बोले नेता बहुत हद तक   जिम्मेदार  हैं /


अन्ना ने सचमुच बड़ी बहादुरी और दिलेरी का काम किया है  / अन्ना  तुमने उम्र के इस पड़ाव पर हिंदुस्तान को गहरी नींद से तो जगाया ही /  पर इस जागरण में कितने लोग जगे रहेंगे  और कितने वापस जल्दी से सो जाएंगे ? यह तो समय बताएगा/  जो भी  हो हम आपके जल्दी से स्वस्थ होने की    दुआ  मांगते हैं ताकि आप की दहाड़ सुनकर गूंगी और बहरी सरकार जगी रहे /

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