कुछ शब्द ......
कितने पवित्र होते हैं
जो ढँक लेते हैं अपने में
धारण करने वाले की
सारी चालाकियाँ , सारे छल- कपट
सारे पाप !
शब्दों के परिधान में
कोई छुपा ले जाता है
अपने सारे अपराध /
और शब्द ......
धीरे - धीरे अपना अर्थ खोने लगते हैं
वे शर्मिंदा हैं
अपने इस्तेमाल होने पर
शब्द ......
धीरे - धीरे चुक रहे हैं /
कितने पवित्र होते हैं
जो ढँक लेते हैं अपने में
धारण करने वाले की
सारी चालाकियाँ , सारे छल- कपट
सारे पाप !
शब्दों के परिधान में
कोई छुपा ले जाता है
अपने सारे अपराध /
और शब्द ......
धीरे - धीरे अपना अर्थ खोने लगते हैं
वे शर्मिंदा हैं
अपने इस्तेमाल होने पर
शब्द ......
धीरे - धीरे चुक रहे हैं /
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