मंगलवार, 17 फ़रवरी 2015

तुम...
कहीं दूर किसी सभा में
बहस- दर - बहस में
शामिल हो
मुठ्ठियाँ
   तनी हैं तुम्हारी
तुम रोष में हो
गुस्सा निकाल रहे हो डेस्क पर
क्या हो गया है समाज को
स्त्रियों के प्रति बढ़ती हिंसा पर
तुम चिंतित हो ...
तालियाँ बज रहीं हैं
प्रशंसकों से घिरे हो ....../



और मैं ..
तुम्हारी पत्नी ...
बीमार हूँ /  

मेरे पास केवल इंतजार है
तुम्हारी बहस कब ख़त्म होगी ?

4 टिप्‍पणियां:

  1. मेरे पास केवल इंतजार है
    तुम्हारी बहस कब ख़त्म होगी ?
    एक औरत के दर्द को सहीं अर्थ देते शब्द
    http://savanxxx.blogspot.in

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  2. बहुत सुन्दर कविता .अगर ये कविता पर अंत में अचानक ख़त्म क्यों हो गयी .असमय ख़त्म हो गयी . इसके अंतिम २ लाइनों के बीच पत्नी की पीड़ा और पति की उपेक्षा के कुछ तथ्य जोड़े जा सकते थे जैसे मेरी दवा ख़तम हो गयी है जब स्पीच ख़तम हो तो या रहेगी क्या . या आज डाक्टर के ८ बजे बुलाया था उसे बाद_ए हुए दर्द के बारे में बताना था . मैंने आज क्या खाया पूछोगे नहीं आदि आदि ...क्षमा सहित सुझाव

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