tag:blogger.com,1999:blog-8232473876020934421.post3661571016350640774..comments2023-08-03T03:40:54.921-07:00Comments on पतझड़: केदारनाथ सिंह की एक कविताUnknownnoreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-8232473876020934421.post-73432543839134954622011-11-24T03:14:22.256-08:002011-11-24T03:14:22.256-08:00केदारनाथ सिंह की कविताएं समय के साथ संवाद करती हुई...केदारनाथ सिंह की कविताएं समय के साथ संवाद करती हुई कविताएँ हैं । सटीक कथ्य!<br /> इस कविता के माध्यम से आपने बहुत सुन्दर तरीके से कवि और उसके रचनाकर्म से अच्छी तरह से परिचित कराया है । उनकी कविता 'नए कवि का दुःख' कितनी सुन्दरता से संवाद करती हुई हृदय को झकझोरती है-<br /> "दुख हूँ मैं एक नये हिन्दी कवि का"<br /> <br /> बाँधो<br /> मुझे बाँधो<br /> पर कहाँ बाँधोगे<br /> किस लय, किस छन्द में?<br /><br /> ये छोटे छोटे घर<br /> ये बौने दरवाजे<br /> ताले ये इतने पुराने<br /> और साँकल इतनी जर्जर<br /> आसमान इतना जरा सा<br /> और हवा इतनी कम कम<br /> नफरतयह इतनी गुमसुम सी<br /> और प्यार यह इतना अकेला<br /> और गोल -मोल<br /> बाँधो<br /> मुझे बाँधो<br /> पर कहाँ बाँधोगे<br /> किस लय , किस छन्द में?<br /><br /> क्या जीवन इसी तरह बीतेगा<br /> शब्दों से शब्दों तक<br /> जीने<br /> और जीने और जीने और जीने के<br /> लगातार द्वन्द में?<br /> (-केदारनाथ सिंह)प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8232473876020934421.post-15343921370085614882011-11-20T10:17:36.469-08:002011-11-20T10:17:36.469-08:00धन्यवाद इसके लिए। बढिया।धन्यवाद इसके लिए। बढिया।चंदन कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.com